How to Pick Stocks: सही स्टॉक चुनने के लिए 3 Easy Steps

How to Pick Stocks: स्टॉक मार्केट में बहुत बड़ी गलतफहमी है कि अगर मैंने किसी अच्छी कंपनी में इन्वेस्टमेंट किया है या अगर मैंने किसी ब्लू चिप (Blue Chip) कंपनी में इन्वेस्टमेंट किया है तो मुझे प्रॉफिट ही होगा पर एक्चुअली में दोस्तों यह सिर्फ आधा सच है और आधा सच जानकर हम स्टॉक मार्केट में अच्छे प्रॉफिट नहीं बना सकते हैं इस ब्लॉग में पहले आपको बताऊंगा कि क्यों अच्छी कंपनियों में इन्वेस्टमेंट करने के बाद भी हमें लॉस होता है फिर मैं आपको बताऊंगा स्टॉक पिक करने का सिंपल थ्री स्टेप का प्रोसेस जिसे फॉलो करके आप अपने प्रॉफिट होने के चांसेस को काफी ज्यादा बढ़ा सकते हैं आइए शुरू करते हैं


How to Pick Stocks: सही स्टॉक चुनने के लिए 3 Easy Steps

क्यों अच्छी कंपनियों में इन्वेस्टमेंट करने के बाद भी हमें लॉस होता 

एक इंटरेस्टिंग सवाल आपसे पूछता हूं अगर मैं आपको Maruti Alto 800 कार 1 करोड़ रुपया में आपको Sell करूँ तो क्या आप उसे Buy करेंगे ? सायेद आप सोच रहे हो में कैसे अजीब बातें कर रहा हूं ! क्योंकि आप अच्छे से जानते हैं  Maruti Alto 800 car 1 करोड़ की तो नही हैं | चाहे में आपसे कहूं की ये Maruti की Best कार हैं , इसकी Breaking System BMW car से भी अच्छा हैं , इसकी जो Seats हैं वो Mercedes से भी अच्छा हैं , में कुछ भी कहूं आप मुझसे 1 करोड़ में Maruti Alto 800 कार नही Buy करेंगे इनफैक्ट में भी किसी से 1 करोड़ में Maruti Alto 800 कार नही खरीदूंगा | क्योंकि यहां हम और आप स्मार्ट थिंकिंग कर रहे हैं | बट  बात जब स्टॉक मार्केट प इन्वेस्टिंग की आती है तो हम अपनी पूरी स्मार्ट थिंकिंग अपनी पूरी इंटेलिजेंस सबको भूल जाते हैं कार वाले एग्जांपल से समझे तो इन्वेस्टिंग करते हुए हम सिर्फ कार यानी सिर्फ कंपनी को देखते हैं और इस बात पर ध्यान तक नहीं देते कि क्या कंपनी की वैल्यू उसके प्राइस के हिसाब से ठीक है और इसकी वजह से होता यह है दोस्तों कि हम अक्सर स्टॉक मार्केट में Alto car करोड़  रुपए में बाय करते हैं | दोस्तों इसमें प्रॉब्लम यह है कि अगर हमने भावनाओं में बहकर Alto कार को 1 करोड़ रुपया में बाय करने की बेवकूफी कर दी तो हमें इस पे 20 प्रॉफिट बनाने के लिए खुदसे बड़ा बेवकूफ ढूंढना पड़ेगा जो हमसे Alto कार को 1 करोड़ 20लाख में बाय करेगा और बिल्कुल इसी वजह से दोस्तों स्टॉक मार्केट में हमें अच्छी कंपनियों में भी लॉस होता है | जब हम अच्छी और पॉपुलर कंपनियों के स्टॉक्स को बिना सोचे समझे बाय करते हैं तो हम असल में उन कंपनियों को उनके रियल वैल्यू से काफी ज्यादा हाई प्राइस पर बाय कर लेते हैं और फिर जब उस कंपनी की शेयर प्राइस हाई प्राइस से क्रैश होकर नीचे आती है तो हमें फिर उसमें लॉस होता है कुछ टाइम के लिए ऐसा जरूर हो सकता है दोस्तों कि कंपनी की शेयर प्राइस काफी ज्यादा ऊपर चली जाए और स्टॉक मार्केट में एक तरह का फोर्स काम करता है जो आज नहीं तो कल हाई शेयर प्राइस को उसके हाई प्राइस से खींचकर लो प्राइस पर ले ही आता है इस वजह से दोस्तों स्टॉक मार्केट में सिर्फ यह इंपॉर्टेंट नहीं है कि हम कितनी अच्छी कंपनियों में इन्वेस्टमेंट कर रहे हैं बल्कि इंपॉर्टेंट यह है कि हम अच्छी कंपनियों को कितने महंगे या कितने सस्ते प्राइस पर बाय कर रहे हैं एक नए Alto कार के लिए 1 करोड़ की प्राइस बिल्कुल बहुत ज्यादा महंगी है पर वही अगर हमें ₹1 करोड़ में प्राइवेट जेट मिले तो वो काफी सस्ता माना जाएगा यानी दोस्तों हमें ना तो सिर्फ कंपनी देखनी है ना तो सिर्फ प्राइस देखना है हमें दोनों चीजों पे फोकस करना है |

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और यह समझने की कोशिश करनी चाहिए कि हम जिस भी कंपनी में इन्वेस्टमेंट कर रहे हैं क्या वो कंपनी हमें सस्ते प्राइस पर मिल रही है या महंगे प्राइस पर और हमेशा दोस्तों स्टॉक मार्केट में हमारी कोशिश ये होनी चाहिए कि हम अच्छी से अच्छी कंपनियों को सस्ते से सस्ते प्राइस पर बाय कर पाएं और हम ये कैसे कर सकते हैं आइए अब उसे समझते हैं |

सही स्टॉक चुनने के लिए 3 इसी स्टेप्स

तो दोस्तों स्टॉक मार्केट में अच्छी कंपनियों को सस्ते प्राइस पर बाय करने के लिए हम स्टेप का एक प्रोसेस फॉलो कर सकते हैं

1. जिसमें से स्टेप नंबर वन है अच्छी कंपनियों को ढूंढना और इसके लिए हम कंपनियों में दो चीजें देख सकते हैं पहली है दोस्तों बिजनेस क्वालिटी और दूसरा है फाइनेंशियल स्ट्रेंथ | 


बिजनेस क्वालिटी ( Business Quality )

बिजनेस क्वालिटी को समझने के लिए हम कंपनियों में तीन चीजें देख सकते हैं पहला है कंपनी का सेल्स ग्रोथ दूसरा है उसका रिटर्न ऑन इक्विटी यानी आरई (ROE) और तीसरा है उसका रिटर्न ऑन कैपिटल एंप्लॉयड (ROCE) यानी आरओ सई सेल ब्रोत की बात करें तो एक अच्छी कंपनी वो होती है जिसने पिछले 7 से 10 साल में अपने सेल को हर साल कम से कम 10 परसेंट के रेट से बढ़ाया हो यानी कि कंपनी का सेल पिछले 7 सालों में डबल जरूर हुआ हो |

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वहीं दोस्तों रिटर्न ऑन इक्विटी (ROE) और रिटर्न ऑन कैपिटल एंप्लॉयड (ROCE)  के बेसिस पे अच्छी कंपनी वो होती है जिसके लिए ये दोनों रेशियो पिछले 7 से 10 सालों में हर साल कम से कम 15 परसेंट जरूर हो |

तो दोस्तों इन तीन चीजों से हम बिजनेस की क्वालिटी को समझ सकते हैं अगर कोई कंपनी लगातार अपने सेल्स को 10 परसेंट के रेट से बढ़ाती आ रही है और उसका आरई (ROE) और (ROCE) दोनों कंसिस्टेंटली 15 परसेंट से ज्यादा है तो कंपनी की जो बिजनेस क्वालिटी है वो काफी ज्यादा अच्छी है |


फाइनेंशियल स्ट्रेंथ ( Financial Growth )

वही दोस्तों कंपनी के फाइनेंशियल स्ट्रेंथ को समझने के लिए हम उसमें दो चीजें देख सकते हैं पहला है डेट टू इक्विटी रेशियो (Debt to Equity Ratio)  और दूसरा है इंटरेस्ट कवरेज रेशियो (Interest Coverage Ratio) | 

फाइनेंशियल स्ट्रेंथ के लिए ये जरूरी है कि कंपनी का डेट टू इक्विटी रेश्यो(Debt to Equity Ratio)  एक से कम हो जितना कम हो उतना अच्छा अगर जीरो है तो सबसे बेस्ट है क्योंकि इसका मतलब है कि कंपनी के ऊपर ₹1 का भी लोन (Loan) नहीं है और अगर कंपनी के ऊपर एक भी रुपए का लोन नहीं है तो आधी से ज्यादा प्रॉब्लम्स जो किसी कंपनी में हो सकती है वो ऐसे ही खत्म हो जाती हैं |

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फिरे दोस्तों इंटरेस्ट कवरेज रेशियो (Interest Coverage Ratio)  और फाइनेंशियल स्ट्रांग वो कंपनियां होती हैं जिनके लिए इंटरेस्ट कवरेज रेशियो कम से कम तीन जरूर हो जितना ज्यादा हो कंपनी उतनी ज्यादा फाइनेशियली स्ट्रॉन्ग मानी जायेगी | यानी दोस्तों टोटल हमने पांच चीजों को देखा है अब दोस्तों करना यह है कि इन पांच चीजों के सही वैल्यूज के बेसिस पे हमें अच्छी कंपनियों की एक लिस्ट को रेडी करना है कोई भी कंपनी आपको मिले आपको सबसे पहले उस कंपनी में यह पांचों चीजें चेक करनी है और अगर उस कंपनी में इन पांचों चीजों की वैल्यू वही है जो हमने अभी देखी तो आपको उस कंपनी को अपनी अच्छी कंपनियों के लिस्ट में शामिल करना है पर अगर वैल्यूज उतनी नहीं है जितनी हमें चाहिए तो उस कंपनी को आप इग्नोर करके आगे बढ़ सकते हैं और दूसरी कंपनी को एनालाइज कर सकते हैं ऐसा करते हुए दोस्तों आप आपको कम से कम 50 से 100 कंपनियों की एक लिस्ट रेडी करनी है |

फिर आता है दोस्तों हमारा स्टेप नंबर टू जिसमें हमें करना है इंतजार लेकिन किस चीज का इंतजार तो दोस्तों जिन अच्छी कंपनियों की हमने लिस्ट बनाई है उस कंपनियों को सस्ते प्राइस पर मिलने का हमें इंतजार करना है क्योंकि अगर दोस्तों हमने ₹100 की चीज को ₹150 में बाय किया तो फिर कौन हमसे वही चीज 170 ₹180 में बाय करेगा क्योंकि सब हमारी जैसी गलती करें यह जरूरी नहीं है | पर अगर हम ₹100 के चीज को ₹80 में बाय करते हैं तो इस के चांस बहुत ज्यादा हैं कि हम उसे ₹100 के आसपास सेल कर सकते हैं और अगर दोस्तों आप इस लॉजिक को समझ रहे हैं तो यकीन कीजिए आप एक अच्छे इन्वेस्टर बन सकते हैं |

पर बन पाएंगे या नहीं यह इस बात पे डिपेंड करेगा कि आप इस लॉजिक को कितने अच्छे से अपनी इन्वेस्टिंग में अप्लाई करते हैं इसलिए दोस्तों स्टेप नंबर टू यह है कि हमें अपनी अच्छी कंपनियों के लिस्ट के साथ बैठे रहना है और उनके सस्ते प्राइस पर मिलने का वेट करना है तो आप सोच रहे होंगे कि ठीक है लिस्ट बना ली अच्छी कंपनियों की पर हमें वेट कब तक करना है आखिर हमें पता कैसे चलेगा कि हमारी सेलेक्ट की हुई कंपनी हमें सस्ते प्राइस पर मिल रही है तो आइए इसे भी समझते हैं |

कंपनी अभी हमें सस्ते प्राइस पे मिल रही है या महंगे प्राइस पे इसे पता करने की प्रोसेस को ही वैल्युएशन कहा जाता है

वैल्युएशन करने के तो वैसे ढेर सारे तरीके हैं पर हम अभी जिस तरीके को देखेंगे उसे हम कहते हैं रिलेटिव वैल्युएशन और इसके लिए हमें कंपनियों में कम से कम तीन चीजों को देखना है पहला है P/E RATIO यानी प्राइस टू अर्निंग रेशो दूसरा है PEG RATIO यानी प्राइस अर्निंग्स टू ग्रोथ रे रेशो और तीसरा है P/B RATIO यानी प्राइस टू बुक रेशियो | 

P/E RATIO :

सबसे पहले बात करते हैं P/E RATIO  की P/E RATIO के लिए तीन बातें इंपॉर्टेंट है पहला यह कि ये 25 से ज्यादा नहीं होना चाहिए दूसरा यह कि कंपनी काP/E RATIO  उसके इंडस्ट्री के P/E RATIO  से कम होना चाहिए | अगर किसी कंपनी का इंडस्ट्री एवरेज P/E RATIO 20 है तो उस कंपनी का P/E RATIO 20 से कम ही होना चाहिए और तीसरा यह कि कंपनी का जो P/E RATIO  है दोस्तों वो उसके अपने 3 साल के मीडियन P/E RATIO से कम होना चाहिए |

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PEG RATIO : की बात करें तो यह सिंपली एक से कम होना चाहिए और प्राइस टू बुक रेशो की बात करें तो इसके लिए दो चीजें इंपॉर्टेंट हैं पहला यह कि यह इंडस्ट्री के प्राइस टू बुक रेशियो से कम होना चाहिए कंपनी जिस भी इंडस्ट्री का है उसका जो एवरेज प्राइस टू बुक रेशियो है कंपनी का प्राइस टू बुक रेशियो उस एवरेज प्राइस टू बुक रेशो से कम

होना चाहिए | और दूसरी चीज यह कि कंपनी का प्राइस टू बुक रेशो उसके अपने पिछले 3 साल के मीडियन प्राइस टू बुक रेशो से कम होना चाहिए | और ये सारी चीजें दोस्तों सारे रेशियो आप Screnner.in वेबसाइट पर जाकर आसानी से देख सकते हैं आपको स्क्रीनर की वेबसाइट पर जाकर एक स्टॉक को ओपन करना है वहां पर आपको ये सारे रेश्योस दिख जाएंगे फिर आप चार्ट के सेक्शन में जाएंगे तो वहां पर आपको प्राइस टू अर्निंग्स रेशियो और प्राइस टू बुक रेशियो दोनों के हिस्टोरिकल वैल्युएशन चार्ट भी मिल जाएगी |

अब है दोस्तों फाइनल स्टेप नंबर थ्री जिसमें आपको अपना पोर्टफोलियो बनाना है | इसमें करना है यह दोस्तों कि आपको अपनी अच्छी कंपनियों के लिस्ट में से सारी कंपनी के वैल्युएशन को टाइम टू टाइम चेक करते रहना है यानी आपको उनका P/E RATIO, PEG RATIO और  P/B RATIO  तीनों चेक करते रहना है और जैसे ही दोस्तों कोई अच्छी कंपनी इन तीनों रेशो के बेसिस पे आपको सस्ते में मिले आपको उसे अपने पोर्टफोलियो में ऐड करना है दोस्तों इसमें ऐसा होना मुश्किल है कि एक बार में ही आपको पोर्टफोलियो बनाने के लिए 15 से 20 स्टॉक मिले ऐसा नहीं होगा आपको टाइम टू टाइम ये प्रोसेस करते रहना पड़ेगा और और धीरे-धीरे करके आप अपने लिए 15 से 20 कंपनियों का एक पोर्टफोलियो बना पाएंगे तो दोस्तों ये था थ्री स्टेप का सिंपल स्टॉक पकिंग प्रोसेस मुझे उम्मीद है आपको यह ब्लॉग बहुत पसंद आया होगा ब्लॉग को पूरा पड़ने के लिए Thank You So Much  |

FAQs

1. क्यों अच्छी कंपनियों में निवेश करने के बाद भी हमें नुकसान हो सकता है?

उत्तर: कई बार हम अच्छी कंपनियों को बहुत अधिक कीमत पर खरीद लेते हैं। यह वैसा ही है जैसे हम एक मारुति ऑल्टो को 1 करोड़ रुपये में खरीद रहे हों। अगर हमने कंपनी की मूल्य का आकलन नहीं किया है तो हमें नुकसान हो सकता है, भले ही कंपनी अच्छी हो।

2. स्टॉक चुनने के लिए मुझे किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

उत्तर: स्टॉक चुनते समय आपको कंपनी की बिजनेस क्वालिटी और फाइनेंशियल स्ट्रेंथ पर ध्यान देना चाहिए। बिजनेस क्वालिटी के लिए आप कंपनी के सेल्स ग्रोथ, ROE और ROCE को देख सकते हैं। वहीं, फाइनेंशियल स्ट्रेंथ के लिए आप कंपनी के डेट टू इक्विटी रेशियो और इंटरेस्ट कवरेज रेशियो को देख सकते हैं।

3. मुझे कैसे पता चलेगा कि कोई कंपनी सस्ती है या महंगी?

उत्तर: कंपनी के मूल्यांकन (valuation) का आकलन करने के लिए आप P/E ratio, PEG ratio और P/B ratio जैसे अनुपातों का उपयोग कर सकते हैं। अगर इन अनुपातों का मान उद्योग के औसत या कंपनी के ऐतिहासिक औसत से कम है, तो कंपनी सस्ती मानी जा सकती है।

4. मुझे स्टॉक चुनने के लिए कितनी कंपनियों का विश्लेषण करना चाहिए?

उत्तर: आपको कम से कम 50-100 कंपनियों का विश्लेषण करना चाहिए। इससे आपको अच्छी कंपनियों की एक सूची तैयार करने में मदद मिलेगी।

5. स्टॉक चुनने का यह प्रक्रिया कितनी समय लेने वाली है?

उत्तर: यह प्रक्रिया थोड़ी समय लेने वाली हो सकती है, खासकर अगर आप नए निवेशक हैं। हालांकि, एक बार जब आप इस प्रक्रिया को समझ जाते हैं, तो आप इसे जल्दी से कर सकते हैं।

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