9 Mistakes in ETF Investing: 9 गेम-चेंजिंग ETF गलतियाँ जिन्हें आपको जानना चाहिए

9 Mistakes in ETF Investing: दोस्तों अगर आप ETF में इन्वेस्टिंग करने के बारे में सोच रहे हैं तो इस ब्लॉग में 9 ऐसे इंपॉर्टेंट पॉइंट्स आप लोगों के साथ में शेयर करने वाला हूं जो आपके लिए बहुत फायदे मन होगा, तो चलिए ब्लॉग शुरू करते हैं

9 Mistakes in ETF Investing

1. नए NFO से बचें 

तो पहला जो पॉइंट है न्यू NFO उसमें आपको इन्वेस्टिंग करने से बचना चाहिए खास करके जब मार्केट में रैली आती है तो नए-नए ETF के NFO आते हैं तो न्यू NFO में एक इन्वेस्टर को निवेश करने से बचना चाहिए | मार्केट में बहुत सारे ETF हैं लेकिन बहुत सारे ETF सही हैं क्या नहीं कुछ ETF तो आप अपने रिस्क और गोल के हिसाब से ETF को सेलेक्ट करिए और उसमें निवेश करने के बारे में सोचिए | जैसे मैंने आपको बताया कि जब मार्केट में तेजी आती है तो बहुत सारे NFO एमसी कंपनियां लेके आती हैं इस थीम का इस सेक्टर का कंज्यूमर का ऑटो का तो आपको थोड़ा सा सतर्क रहना चाहिए | अगर आपको वो थीम पसंद आ रही है वो अगर आपको एफो पसंद आ रहा है तो उसको लिस्ट होने दीजिए थोड़ा सा समय बिताने दीजिए उस एफो का उसके बाद से उसका परफॉर्मेंस देखने के बाद आपको उस ETF में निवेश करने के बारे में सोचना चाहिए नहीं तो ऑलरेडी बहुत सारे ETF हैं जो मार्केट में अच्छा खासा वॉल्यूम पे ट्रेड कर रहे हैं और अच्छा खासा रिटर्न्स भी दे रहे हैं | तो पहला पॉइंट था कि न्यू जो एफो आते हैं ETF के उसमें निवेश करने से बचना चाहिए |

9 Mistakes in ETF Investing

2.लिक्विडिटी और वॉल्यूम जांच करें 

और दूसरा जो पॉइंट है लिक्विडिटी वॉल्यूम आप जिस भी ETF में निवेश कर रहे हैं उसका वॉल्यूम देख लीजिएगा | अगर उसमें वॉल्यूम नहीं है तो वैसे ETF में आपको निवेश करने से बचना चाहिए | क्यों बचना चाहिए क्योंकि मान लीजिए आज उस ETF में आपने 10000 या 20000 हजार निवेश कर दिया और उसमें कल को कोई Seller नहीं है या मार्केट में गिरावट आ गई तो कोई Seller नहीं मिल रहा है| तो आप इन्वेस्टर हैं तो जब भी आप निवेश करने जा रहे हैं तो वॉल्यूम देखना बहुत जरूरी है लेकिन बहुत सारे Beginners लिक्विडिटी क्या होती है नहीं देखते हैं, तो फिर नहीं देखेंगे तो खरीद तो लेंगे लेकिन Seller नहीं मिलेगा कल को अगर मार्केट में Volatility बढ़ जाएगी | आजकल देख सकते हैं ना कि इंडिया वीक्स 24 के ऊपर चल रहा है मार्केट में Volatility है तो मार्केट में तो इवेंट आते और जाते रहते हैं तो आप इन्वेस्टर हैं तो आप जिस भी ETF में निवेश कर रहे हैं उसमें अच्छा खासा वॉल्यूम हो |

3.म्यूचुअल फंड बनाम ETF कैटेगरी कंपेयर करके देखिए 

और जो तीसरा पॉइंट है आजकल मार्केट में चल रहा है कि म्यूचुअल फंड में निवेश मत करो, सिर्फ ETF में इन्वेस्ट करिए तो देखिए ये डिपेंड करता है बहुत सारे लोगों के पास टाइम नहीं होता है, राइट तो अगर आप टाइम दे सकते हैं तो बिल्कुल ETF में निवेश कर सकते हैं तो ये आपको देखना पड़ेगा स्टडी करना पड़ेगा जैसे बहुत सारे Beginners क्या करते हैं Large Cap या ब्लू चिप म्यूचुअल फंड में निवेश कर देते हैं तो यह अप्रोच सही है या गलत है बताइए बोलेंगे क्या गलत है? गलत है! मैं बता रहा हूं | जैसे ETF में भी अलग-अलग कैटेगरी के ETF हैं, तो म्यूचुअल फंड में भी अलग-अलग कैटेगरी है तो आपको कैटेगरी जैसे Large Cap म्यूचुअल फंड है तो Large Cap म्यूचुअल फंड को उसके बेंचमार्क से कंपेयर करके देखिए, उसके इंडेक्स से कंपेयर करके देखिए तो अगर कोई लार्ज कै म्यूचुअल फंड है तो निफ्टी 50 का कोई भी ETF पकड़ लीजिए और उससे कंपेयर करके देखिए | तो अभी देखा गया है कि 70 से 80 Percent Large Cap जो म्यूचुअल फंड है वो अपने इंडेक्स को ही बिट नहीं कर पा रहे हैं | तो इस केस में क्या कर सकते हैं आप ETF में इन्वेस्ट करिए | ETF में इन्वेस्ट करेंगे तो एक्सपेंस रेश्यो भी कम लग रहा है तो Large Cap म्यूचुअल फंड में क्यों इन्वेस्ट करना राइट तो ये कैटेगरी टू कैटेगरी वेरी करता है और इन्वेस्टर पे भी वरी करता है तो ये आपको ध्यान में रखना चाहिए ऐसा नहीं है कि ETF में इन्वेस्ट कर रहे हैं तो म्यूचुअल फंड में मत करिए ऐसा नहीं है सारे फंड का हिसाब अलग-अलग है |

4.ट्रैकिंग एरर 

और जो फो फोथ पॉइंट है ट्रैकिंग एरर आप जिस भी ETF में निवेश कर रहे हैं तो उसका ट्रैकिंग एरर जरूर देखिएगा | क्योंकि आप किसी भी कैटेगरी में इन्वेस्ट कर रहे हैं जैसे Mid Cap में इन्वेस्ट कर रहे हैं या Small Cap में या निफ्टी 50 में इन्वेस्ट कर रहे हैं तो ये सारे ETF जो है किसी ना किसी इंडेक्स को ही फॉलो करते हैं अगर आप निफ्टी 50 ETF में निवेश करेंगे तो निफ्टी 50 का जो इंडेक्स है उसको फॉलो करता है | तो ट्रैकिंग एरर जितना कम हो वो आपके लिए बेटर रहेगा अगर ट्रैकिंग एरर ज्यादा है तो आप आपको अलर्ट हो जाना चाहिए राइट |

5.खरीदने और बेचने का निर्णय 

और फिफ्थ जो पॉइंट है बाय और सेल का डिसीजन लेना | जैसे अगर आप ETF में खरीदारी कर रहे हैं तो मार्केट में जब गिरावट आती है तो बहुत सारे लोग पैनिक करते हैं, जो एक रिटेल इन्वेस्टर है वो ज्यादा पैनिक करता है तो जब मार्केट में गिरावट आती है तो वो ना खरीद पाएगा और ना ही बेच पाएगा ETF के केस में| लेकिन म्यूचुअल फंड में क्या है कि म्यूचुअल फंड में अगर आप निवेश कर रहे हैं तो वहां पे फंड मैनेजर बैठा है वो अपने स्किल के हिसाब से सिक्योरिटी बाय योर सेल करता | है तो आप ETF में जब भी खरीदारी करने जा रहे हैं तो माइंड क्लियर रहना चाहिए ऐसा नहीं कि मौका मिले तो खरीद ही नहीं पाए और फिर जब प्रॉफिट बुकिंग करने का समय आए तो फिर प्रॉफिट बुकिंग ना कर पाए | क्योंकि ETF में आप ही फंड मैनेजर हैं आपको डिसीजन लेना है कि कब बाय करना है और कब सेल करना है बहुत सारे लोग बोल रहे हैं ना ETF बढ़िया है ETF बढ़िया है लेकिन आपको यह भी सीखना पड़ेगा कि कब ETF में खरीदारी करना है? कब ETF से एग्जिट कर जाना है |

6.एएम अंडर एसेट मैनेजमेंट 

अब हम अगला पॉइंट देख लेते हैं अगला पॉइंट है AUM अंडर एसेट मैनेजमेंट जिसको हम फंड साइज बोलते हैं | तो आप जिस भी ETF में निवेश कर रहे हैं उसका फंड साइज देख लीजिए कि उसका फंड साइज क्या है ? AUM कितना है? उसके कैटेगरी से भी कंपेयर करके देखिए अगर उसमें AUM कम है तो उसमें भी आपको निवेश करने से बचना चाहिए | ठीक-ठाक मीडियम AUM तो होना ही चाहिए ऐसा नहीं कि नया फंड है 5 करोड़ 10 करोड़ है और उसमें जाके निवेश कर रहे हैं तो उसमें अगर आप निवेश करेंगे तो आपका रिस्क बढ़ जाता है | तो AUM भी देखना बहुत जरूरी है बहुत सारे लोग AUM नहीं देखते हैं लेकिन आप जरूर देखेंगे |

7.एक्सपेंस रेश्यो 

अगला जो पॉइंट है एक्सपेंस रेश्यो | तो ETF में एक्सपेंस रेश्यो ना के बराबर होता है 0.1%, 0.05% पर एक्सपेंस रेश्यो लगता है | क्यों लगता है क्योंकि इसमें एक्टिवली कोई फंड मैनेजर इवॉल्व नहीं रहता है लेकिन म्यूचुअल फंड के केस में एक्टिवली फंड मैनेजर आपके पैसे को मैनेज करता है | तो याद रखिए जब भी आप ETF में खरीदारी कर रहे हैं तो मैंने बोला ना कि अपना रिस्क देखिएगा और कैटेगरी देखिएगा कि आप किस कैटेगरी में निवेश कर रहे हैं | जैसे मान लीजिए कोई ETF है जो अपने कैटेगरी में 1 साल में 30 परसेंट का रिटर्न्स निकाल के दे रहा है और उसका एक्सपेंस रेश्यो 0.10% है, लेकिन उसी कैटेगरी में उसका जो म्यूचुअल फंड है वो आपको 40 परसेंट रिटर्न्स निकाल के दे रहा है और उसमें एक्सपेंस रेश्यो आपको 0.40% पर लग रहा है तो यहां पे देख सकते हैं कि इसमें एक्सपेंस रेश्यो 0.10% है और इसका 0.40% पर है तो देख सकते हैं कि उसी कैटेगरी में म्यूचुअल फंड वाला ज्यादा एक्सपेंस रेश्यो ले रहा है क्योंकि यहां पे फंड मैनेजर इंवॉल्व है लेकिन यह ज्यादा आपसे पैसा ले रहा है लेकिन रिटर्न्स भी आपको ज्यादा निकाल के दे रहा है | तो आप जिस भी ETF में निवेश कर रहे हैं तो ऐसा नहीं कि म्यूचुअल फंड बेकार है आजकल बहुत सारे नेगेटिव न्यूज़ चल रही है कि म्यूचुअल फंड में इनवेस्ट मत करो ऐसा कैसा है भैया बहुत सारे फंड मैनेजर हैं जो अच्छा रिटर्न्स निकाल के दे रहे हैं तो एक्सपेंस रेश्यो एक बार कंपेयर करके देख लीजिएगा थोड़ा बहुत अगर ज्यादा ले रहा है तो कोई दिक्कत नहीं रिटर्न्स भी तो ज्यादा निकाल के दे रहा है | ये 20% – 30% पर दे रहा है वो 40 पर दे रहा है समझ रहे हैं तो 5% – 10% परसेंट रिटर्नस ज्यादा निकाल के देना बहुत बड़ी बात है | तो अगर थोड़ा सा एक्सपेंस रेश्यो अगर ज्यादा दे भी दे रहे हैं तो कोई दिक्कत नहीं है | लेकिन अगर आप पैसिव इन्वेस्टिंग करते हैं तो बिल्कुल एक्सपेंस रेश्यो तो आपको देखना ही चाहिए, तो ETF में जब भी निवेश कर रहे हैं तो एक्सपेंस रेश्यो पे भी नजर डालना चाहिए कैटेगरी उसके बेंचमार्क से कंपेयर करके जरूर देखना चाहिए | 

8.ओवरलैपिंग से बचें 

अगला जो पॉइंट है ओवरलैपिंग | ओवरलैपिंग में क्या है बहुत सारे इन्वेस्टर क्या करते हैं ETF में निवेश कर रहे हैं तो एक ही कैटेगरी में दो-तीन ETF को पकड़ के निवेश कर दिए Small में कर रहे हैं या Mid में कर रहे हैं तो दो-तीन ETF पकड़ लिए कोई मतलब है क्योंकि एक ही इंडेक्स को फॉलो कर रहे हैं समझ रहे हैं | तो आपको ओवरलैपिंग से बचना चाहिए ऑलवेज आपको अलग-अलग कैटेगरी में निवेश करने के बारे में सोचना चाहिए | और ETF में जब हैवी सेल ऑफ आए तभी निवेश करने के बारे में सोचना चाहिए | वो सही रहता है लेकिन बहुत सारे लोग Large Cap म्यूचुअल फंड में भी निवेश करते हैं और ETF में भी निवेश करेंगे Nifty 50 का कोई ETF

पकड़ लिए उसमें भी निवेश कर रहे हैं कोई मतलब है? नहीं मतलब है राइट | तो बेंचमार्क से आपको कंपेयर करके देखना चाहिए और ओवरलैपिंग से बचना चाहिए |

9. नए ETF में सावधानी बरतें

अगला जो पॉइंट है नया ETF वही जैसे मैंने आपको बताया ना अभी कि न्यू NFO आता है कोई नया ETF है अभी मार्केट में एक दो महीना पुराना हुआ तो उसमें आपको निवेश करने से बचना चाहिए नया ETF में थोड़ा सा समय दीजिए उसमें वॉल्यूम बढ़ने दीजिए उसमें जब एक बार से लिक्विडिटी बढ़ जाती है उसका AUM बढ़ जाएगा तब आपको निवेश करने के बारे में सोचना चाहिए अगर वो फंड अच्छा परफॉर्म करता है तो | लेकिन नया ETF है तो मुझे लग रहा है कि नहीं बहुत सारे ETF हैं रिस्क क्यों लेना क्योंकि हम मेहनत से पैसा कमाते हैं| तो ये रहे कुछ इंपोर्टेंट पॉइंट्स आशा करता हूं आपकी ETF में इन्वेस्टमेंट को लेकर सारी जिज्ञासा दूर हुई होगी | अगर कोई जिज्ञासा हैं तो नीचे कॉमेंट करके बताओ 

FAQs

1. मुझे नए ETF में निवेश क्यों नहीं करना चाहिए?

उत्तर: नए ETF में निवेश करने से पहले सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि नए ETF में अक्सर लिक्विडिटी की समस्या होती है। इसके अलावा, नए ETF का प्रदर्शन लंबे समय तक कैसे रहेगा, यह कह पाना मुश्किल होता है। इसलिए, पहले से मौजूद और स्थापित ETF में निवेश करना अधिक सुरक्षित होता है।

2. ETF में निवेश करते समय लिक्विडिटी क्यों महत्वपूर्ण है?

उत्तर: ETF में निवेश करते समय लिक्विडिटी इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आपको अपने निवेश को आसानी से बेचने की अनुमति देती है। कम लिक्विडिटी वाले ETF में निवेश करने से आपको अपने निवेश को बेचने में मुश्किल हो सकती है, खासकर जब बाजार में उतार-चढ़ाव हो।

3. ETF और म्यूचुअल फंड में क्या अंतर है?

उत्तर: ETF और म्यूचुअल फंड दोनों ही निवेश के साधन हैं, लेकिन इनमें कुछ अंतर हैं। ETF एक्सचेंज पर सूचीबद्ध होते हैं और इन्हें स्टॉक की तरह खरीदा और बेचा जा सकता है, जबकि म्यूचुअल फंड को फंड हाउस से खरीदा जाता है। ETF में आमतौर पर कम एक्सपेंस रेशियो होता है और ये अधिक पारदर्शी होते हैं।

4. ETF का ट्रैकिंग एरर क्या होता है?

उत्तर: ट्रैकिंग एरर यह मापता है कि एक ETF अपने बेंचमार्क इंडेक्स का कितना करीब से अनुसरण करता है। कम ट्रैकिंग एरर वाले ETF बेहतर होते हैं क्योंकि इसका मतलब है कि ETF अपने बेंचमार्क इंडेक्स के प्रदर्शन का अधिक करीब से अनुसरण कर रहा है।

5. ETF में निवेश करते समय मुझे क्या ध्यान रखना चाहिए?

उत्तर: ETF में निवेश करते समय आपको निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए:

Liquidity: ETF में पर्याप्त लिक्विडिटी होनी चाहिए।

Tracking Error: ट्रैकिंग एरर कम होना चाहिए।

Expenses Ratio: एक्सपेंस रेशियो कम होना चाहिए।

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